कौन है वो – १०
कौन है वो – १०
गतांक से आगे–
रात गहन अंधेरी थी और उस पर आसमान में काले काले बादल छाए थे, रह रह कर बिजली कौंध जाती और बादलों की गड़गड़ाहट वातावरण की चुप्पी को भंग कर जाती।
मौसम का ये रुख देख कर इंसान तो क्या जानवर भी दुबक के सो गए थे। पर मालती को तो जैसे होश ही नहीं था वो चुपचाप किसी मशीन की तरह चली जा रही थी, उसे तो ये तक भी होश नहीं था कि उसके पैरों में चप्पल तक नहीं थी, रह रह कर सड़क पर पड़े कंकड़ उसके पैरों में चुभ जाते पर उसे तो जैसे कुछ महसूस ही नहीं हो रहा था। शाम की घटनाओं ने उसके दिलो दिमाग पर कुछ ऐसा असर डाला था कि उसकी सोचने, समझने और महसूस करने की क्षमता मानों खतम सी हो गई थी।
वो बस निर्विकार सी अंधेरी रात में बढ़ती जा रही थी, कहां , किधर, क्यों, कैसे उसे खुद ही नहीं पता था।
अचानक आसमान के सबर का पैमाना भी छलक पड़ा और कब से रुके हुए बादल बरसने लग पड़े। ऐसा लगता था मालती के सूखे आसुओं की जगह आसमान ने ले ली थी और अब मालती की जगह विधाता स्वयं ही उसकी दास्तान पर आंसू बहा रहा था।
रही सही कसर तेज हवाओं ने पूरी कर दी जो सांय सांय चल कर प्रकृति के इस विलाप में उसका साथ दे रही थी।
फिर भी मालती इस सब से बेखबर बस बढ़ती ही जा रही थी।
अचानक रोशनी का एक सैलाब मालती के चेहरे से टकराया और अगले ही क्षण ब्रेक के घिसने, टायरों की घिसावट और एक जोर के झटके ने मालती को छिटका के सड़क पर गिरा दिया।
Ooooh shiiiiit...... ये क्या था जो अचानक सामने आ गया.... किसी महिला की चीख सुनाई दी....
कार कसमसा कर बीच सड़क में रुक गई, और ड्राइवर सीट से फुर्ती से एक अधेड़ उम्र का व्यक्ति वर्षा और तूफान के शोर में चीखता हुआ बोला–– तुम बैठी रहो मैं देखता हूं, लगता है कोई जंगली जानवर है.... इतनी तेज बारिश तूफान में कुछ ठीक से दिखाई भी नहीं दे रहा है।
सामने सड़क के बीच में मालती बेहोश पड़ी थी.. वो व्यक्ति तेजी से बढ़ कर मालती के पास आया और झुक कर उसकी नब्ज़ देखी..... फिर तेजी से मुड़ कर कार की दूसरी तरफ गया जहां पर एक अधेड़ महिला थोड़ा सा शीशा खोल कर बाहर का जायजा लेने की कोशिश कर रही थी।
कार के पास पहुंच कर उसने ऊंची आवाज में कहा... सुनो राधा, ये कोई महिला है, पता नहीं आधी रात में कहां से सामने आ गई..... तुम जल्दी बाहर निकलो, उसकी सांस चल रही है और ज्यादा चोट भी नहीं लगी है... पर शायद शॉक की वजह से बेहोश हो गई है।
मेरी मदद करो इसको गाड़ी में डालते हैं और तुरंत हॉस्पिटल ले जाते हैं।
Ok, मैं आती हूं... महिला बोली, दोनो ने जल्दी से बेहोश मालती को कार की पिछली सीट पर डाला और फिर कार के ग्लोब बॉक्स से कुछ मरहम पट्टी निकाल कर उसके जख्मों पर बांध दिया। खून बहना बंद हो गया पर शायद एक्सीडेंट के झटके से मालती अभी भी बेहोश थी।
दोनो मियां बीवी बारिश में पूरी तरह भीग चुके थे, दोनो झट से गाड़ी में बैठे और महिला ने मुस्कुराते हुए अपने पति से कहा, चलें डॉक्टर विशाल...... अब जरा ध्यान से गाड़ी चलाना.... We can't afford another accident......
Yes madam..... डॉक्टर विशाल मुस्कुराते हुए बोले.... पर यार मेरी कोई गलती नहीं थी एक तो बारिश और तूफान और अंधेरी सड़क, अचानक ही ये महिला मोड़ पर सड़क के बीचों बीच सामने आ गई, ब्रेक लगाते लगाते टकरा ही गई।
Ok....ok..... Case dismissed, अब जल्दी जल्दी हॉस्पिटल पहुंचो ताकि इसको इलाज मिल सके और हम को कुछ सूखे कपड़े और एक गरमा गरम कॉफी, देखो तूफान भी थमने लगा है और मुझे तो भई बहुत ठंड लग रही है।
अगले एक घंटे में डॉक्टर विशाल की कार उनके बड़े से चेरिटेबल हॉस्पिटल के कंपाउंड में दाखिल हो चुकी थी। मालती अभी भी बेहोश थी।
दोनो पति पत्नी, उसको ड्यूटी डॉक्टर के हवाले करके हॉस्पिटल के पीछे अपने बंगले की ओर चले गए।
घर पहुंच कर भी दोनो मालती के बारे में तरह तरह की अटकलें लगाते रहे पर कुछ समझ नहीं आया कि इस अंधेरी तूफानी रात में ये अनजान महिला शहर से दूर जंगल में क्या कर रही थी।
बहुत देर बात करने के बाद भी जब कुछ समझ न आया तो दोनो थक हार कर सो गए।
अगले दिन सुबह करीब आठ बजे डॉक्टर विशाल और राधा तैयार होकर हॉस्पिटल आ गए, दोनो ही उस अनजान महिला से मिलने को उत्सुक थे।
ड्यूटी डॉक्टर ने उन्हें बताया की उसको ज्यादा चोटें नहीं लगी थी पर फिर भी काफी खून बह जाने की वजह से वो काफी कमजोर महसूस कर रही थी और उसी ने उन्हें बताया की वो महिला गर्भवती भी थी।
दोनो एक दूसरे को देख कर ईश्वर का शुक्र मनाने लगे कि उस महिला को कोई ज्यादा या घातक चोट नहीं लगी।
डॉक्टर विशाल ने ड्यूटी डॉक्टर से पूछा, क्या उस महिला ने अपना नाम, पता बताया, क्या उसके परिवार वालों को खबर कर दी है या नहीं।
इसपर ड्यूटी डॉक्टर ने ना में सर हिला दिया, वो बोली, कमजोरी की वजह से मैने उससे ज्यादा बात नहीं की अब तक, वैसे भी उसे अभी थोड़ी देर पहले ही होश आया है। मैने उसके ब्लड सैंपल लेकर लैब भिजवा दिए हैं टेस्ट के लिए। सोचा आपके सामने ही बात करना ठीक होगा। डॉक्टर, क्या पुलिस को इनफॉर्म कर देना चाहिए, ड्यूटी डॉक्टर ने पूछा।
नहीं, पहले हम उस से बात कर लेते हैं, फिर सोचेंगे पुलिस को इन्वॉल्व करना ठीक है या नहीं, विशाल बोला।
ठीक है, डॉक्टर राधा बोली, आओ चल कर उस से पूछें।
उनके मन में बहुत से सवाल उमड़ रहे थे, उन्हे ये सुन कर जरा भी आश्चर्य नहीं हुआ कि वो गर्भ से है, उनकी अनुभवी निगाहों ने तो रात ही भांप लिया था।
मालती को एक प्राइवेट रूम में रखा गया था, बहुत से डॉक्टर्स को कमरे में आता देख वो थोड़ी सकपका कर बैठने की कोशिश करने लगी, पर कमजोर बदन ने उसका साथ नहीं दिया।
Dr. राधा ने बढ़ कर स्नेह से उसके कंधे पर अपना हाथ रखा और बोली.... नहीं नहीं, अभी तुम्हे आराम की सख्त जरूरत है, इसलिए तुम लेटी रहो।
उनका मधुर मीठा स्वर और मुस्कान देख कर मालती थोड़ा आश्वस्त हुई और आंखें बंद कर के लेट गई।
Dr राधा फिर बोली, मुझे बताओ, अब तुम्हे कैसा महसूस हो रहा है।
जी, ठीक लग रहा है पर सर चकरा रहा है।
अच्छा, तुम्हारा नाम क्या है बेटी, Dr राधा ने पूछा।
जी, मालती, मालती ने आंखें मूंदे मूंदे ही जवाब दिया।
अपने घर का पता, तुम्हारे पति का नाम बताओ, हम उन्हे खबर कर देंगे, वो तुम्हारे लिए परेशान होंगे... Dr विशाल बोले।
मालती ने धीरे से अपनी आंखें खोली, उसकी नजरें डबडबाई हुई थी, फिर वो धीरे से बोली, जी मेरा कोई घर नहीं है ना ही इस दुनिया में मेरा कोई है.....!
नहीं बेटा, ऐसा नहीं कहते.... मुझे लगता है तुम्हारा जरूर अपने पति से झगड़ा हो गया होगा.... हमे बताओ, जरूर वो तुम्हे लेकर परेशान होंगे... Dr राधा बोली।
जी... डॉक्टर साहिबा आप नहीं समझ पाओगी... मेरा सच अब इस दुनिया में कहीं कोई नहीं है.... कह कर मालती ने एक बार फिर से अपनी आंखें बंद कर ली और उसके गालों पर आसुओं का सैलाब फिर से बह निकला............
क्रमशः
आभार - नवीन पहल - १४.०७. २०२२
# नॉन स्टॉप 2022
Saba Rahman
16-Jul-2022 11:16 PM
Nice
Reply
Chudhary
16-Jul-2022 10:08 PM
😊😊😊
Reply
Rahman
16-Jul-2022 10:00 PM
Nyc
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